Which technique makes the water more clean?
Which technique makes the water more clean? |
हम जब भी पानी पीते हैं तो उसकी शुद्धता को लेकर आश्वस्त जरूर रहते हैं। अगर कोई कह दे कि आप गंदा पानी पी रहे हैं तो हम उसकी बात पर यकीन नहीं करते, क्योंकि हम पानी देखकर पी रहे हैं । पानी की जो प्राकृतिक अवस्था है हमें वह वैसा ही दिख रहा है । लेकिन ,क्या सिर्फ देखने भर से आप पानी को साफ समझने की भूल तो नहीं कर रहे हो ?!
पानी जीवन का मूल स्रोत है। संपूर्ण पृथ्वी का जीवन चक्र पानी के इर्द-गिर्द ही है । लेकिन आज पानी अपने मूल प्राकृतिक स्वरूप से बहुत अलग हो रहा है । भले ही ये दिखने में अपने मूल स्वरूप जैसा ही दिखे । संपूर्ण पृथ्वी का 75% भाग पानी है लेकिन , उसमें मानव उपयोग में लाने लायक केवल 2% ही है। लेकिन आज यह 2% भी 100% शुद्ध है, इस बात की गारंटी कोई नहीं ले सकता है । और इसका कारण है तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण । आज के मौजूदा समय में जल-थल-नभ सब प्रदूषित हो चुके हैं । और इसका एक मात्र कारण मानव ही है।
हम बात करते हैं कि, साफ-साफ दिखने वाला पानी आखिर गंदा या अशुद्ध कैसे हो सकता है। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की, पानी में विभिन्न प्रकार की अशुद्धियां होती हैं जिनको हम मुख्यत: भौतिक, रसायनिक और जैविक गंदगी के रुप में विभाजित करते हैं । और इन विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों में से रसायनिक और जैविक अशुद्धियों का प्रमुख कारण मानव ही है । अत: मानव निर्मित अशुद्धियों के निस्तारण के लिए मानव को ही यत्न करने होंगे । और इसके लिए मानव के द्वारा विभिन्न प्रकार की यौजनाओं की शुरुआत भी हो रही है । आने वाले समय में हो सकता है कि, हम अपनी प्रकृति को प्रदूषण के प्रकोप से बहुत हद तक सुरक्षित रखपाने में कामयाब हो जायें ।
लेकिन तब तक के लिए क्या हमें दूषित जल का ही सेवन करना होगा ?! जी नहीं इसके लिए भी विकल्प मौजूद है। आज पानी के शुद्धिकरण के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय किये जा रहे हैं। जिनमें से जल शुद्धिकरण यंत्र (water purifier) सबसे ज्यादा भरोसेमंद है ।
जल शुद्धिकरण के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीक को प्रयोग में लाया जाता है ।
आइए हम पानी को शुद्ध करने के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न प्रकार की तकनीकों पर एक नजर डालें, और पानी के प्रकार के आधार पर किस तकनीक का उपयोग करना है इस पर एक नजर डालते हैं।
RO TECHNOLOGY
आरो तकनीको समझने से पहले हमें टीडीएस को समझना होगा । टीडीएस को टोटल डिसाल्व्ड साल्ट अर्थात कुल घुलनशील लवण कहते हैं । टीडीएस अशुद्ध पानी में कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के समूह का भाग होता है । इनकी अत्याधिकता के कारण पानी का स्वाद नमकीन अथवा खारा हो जाता है । इसके अलावा इस पानी में साबुन की झाग नहीं बनती और दाल, चांवल और सब्जियां भी ठीक प्रकार से नहीं गलते ।
आरो तकनीक में एक बेलनाकार फिल्टर होती है। इस फिल्टर में एक झिल्ली के माध्यम से पानी को उच्च दाब पर प्रवाहित करने पर पानी में मौजूद टीडीएस की अत्यधिक मात्रा को कम किया जाता है । इसके अलावा इस झिल्ली की मदद से जैविक अशुद्धियों जैसे बैक्टीरिया,वायरस,फंगस, और यीस्ट से भी छुटकारा पाया जा सकता है ।
इस आरो फिल्टर के अंदर से जब उच्च दाब से पानी को प्रवाहित किया जाता है, तो इसमें लगी झिल्ली पानी को दो भाग में विभाजित करज्ञदेती है । पानी में मौजूद अत्याधिक टीडीएस की मात्रा , जैविक अशुद्धियों, और कुछ कार्बनिक रसायनों की मात्रा पानी के पहले भाग में रूक जाती हैं। जिसे साथ के साथ ही अलग कर लिया जाता है । और शुद्ध जल झिल्ली के पार दूसरे भाग में प्रवेश कर जाती है । यह प्रक्रिया परासरण के समान ही है , चूकी इसमें परासरण के विपरीत प्रक्रिया होती है इस लिए इसे विपरीत परासरण भी कहते हैं ।
आरो तकनीक का उपयोग उन घरों में करना चाहिए, जहां पानी में टीडीएस उच्चतम मात्रा में हो। आरो तकनीक लगवाने से पहले किसी जल विशेषज्ञ से अपने घर का पानी अवश्य जांच करवा लें। इस तकनीक के गलत प्रयोग से आपके शरीर को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
Uv technology
इस तकनीक का उपयोग उन स्थानों के लिए अधिक उपयुक्त है जहां नहरी अथवा मीठे पानी की सप्लाई की जाती है।इस तकनीक के द्वारा पानी में मौजूद सभी प्रकार की जैविक अशुद्धियों का निराकरण किया जाता है। इस तकनीक में एक अल्ट्रावायलेट लेम्प या एलइडी लाईट होती है जिनसे अल्ट्रावायलेट C किरणों का उत्सर्जन होता है । ये किरणें पानी में प्रवाहित करवाने पर , पानी में मौजूद विभिन्न प्रकार की जैविक अशुद्धियों के डि एन ए और आर एन ए का विघटन कर देती हैं । जिस कारण इनका विकास और वृद्धि रुक जाती है । और पानी किसी भी प्रकार के संदूषक से सुरक्षित रहता है ।
यूवी तकनीक पानी में मौजूद अत्याधिक टीडीएस या खनीज लवण की मात्रा के साथ किसी भी प्रकार प्रक्रिया नहीं करती है । अतः इस तकनीक का उपयोग 200 टीडीएस से ऊपर के पानी पर नहीं करना चाहिए ।
इसके अलावा इन दोनों तकनीक में भौतिक और रासायनिक अशुद्धियों के निराकरण के लिए लगभग एक समान प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है । जिनमें सेडिमेंट फिल्टर और कार्बन फिल्टर प्रमुख हैं ।
बाजार में आरो और यूवी तकनीक पर आधारित अलग अलग माडल उपलब्ध तो हैं, इसके अलावा संयुक्त तकनीक पर आधारित माडल भी आप को मिल जायेंगे । फिर भी, किसी भी तकनीक पर आधारित वाटर प्यूरीफायर खरीदने से पहले एक बार अच्छे से जांच-पड़ताल अवश्य कर लें ।
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यह वाटर प्यूरीफायर माडल आरो प्लस यूवी की दोहरी तकनीक पर आधारित है । इसे अधिकत्म 2000 tds वाले पानी पर लगा सकते हैं । इसे Amazon से ओडर करें
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